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आरजेडी या कांग्रेस, किसने दिया पप्पू यादव को धोखा?

 24 Apr 2024


बिहार की चर्चित पूर्णिया लोकसभा सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार बतौर ताल ठोंक रहे पूर्व सांसद पप्पू यादव मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। हालत ये है कि तेजस्वी यादव ने एक चुनावी रैली में यहाँ तक कह दिया कि लड़ाई सिर्फ़ इंडिया और एनडीए में है। इन्हीं के प्रत्याशियों के बीच चुनाव करना चाहिए।पप्पू यादव ने अपनी जन अधिकार पार्टी का कुछ समय पहले कांग्रेस में विलय कर दिया था, लेकिन आरजेडी के विरोध के कारण उन्हें पूर्णिया से टिकट नहीं मिला। मॉलिटिक्स की रिपोर्टर निवेदिता शांडिल्य ने पूर्णिया पहुँचकर वहाँ के माहौल का जायजा लिया और पप्पू यादव से ख़ास बात की। पेश हैं इस बातचीत के अंश-


आप कांग्रेस के साथ आये, क्या कांग्रेस से उम्मीदवारी को लेकर बातचीत स्पष्ट नहीं हो पायी थी? या आपके साथ धोखा हुआ है?

सबसे बड़ी समस्या यह है कि आप लोग सब कुछ राजनीति के चश्में से देखते हैं। क्या हिन्दुस्तान में देश के पीएम और सीएम की यह औक़ात है कि वह अकेले चुनाव लड़ सके। जब पूरी दुनिया कोरोना से खौफ़ खा रही थी तब मैं बिना खौफ़ के लोगों के लिए काम कर रहा था। आपको मेरे बारे में यह जानना जरूरी है कि मेरा लक्ष्य पूर्ण रूप से मानवता है। गुजरात दंगों में जब मैं बिहारी को बचाने के लिए गुजरात जा रहा था तब लोगों ने कहा था कि आपको नहीं जाना चाहिये, लेकिन में फिर भी गया। मैं मणिपुर भी गया था, जब बिहारियों को जलाया जा रहा था। आप लोग कुछ बोलने से पहले ज़मीनी स्तर पर जाकर पता कीजिये। पूरी दुनिया में हिन्दू-मुसलमान और जात-पात हो सकता है लेकिन जहाँ पप्पू यादव चुनाव लड़ते है वहां ऐसा कुछ नहीं होता है, चाहे मधेपुरा हो या कोई और जगह हो।



विपक्ष के दो कैंडिडेट चुनाव में उतरे हैं, क्या इससे वोट नहीं बटेंगे ?

मैं आपको बहुत स्पष्ट बता देना चाहता हूं ,आप इसको समझिये। एक है वोट का काटना और एक है वोट मिलना। जब मैं 20 साल यहाँ नहीं था तब कोई और चुनाव लड़ लेता, आज जो लोग यहाँ चुनाव लड़ रहे हैं वो लोग अपनी उपलब्धि बतायें, पप्पू यादव को गाली देने से क्या होगा। हम तीन बार पूर्णिया से निर्दलीय सांसद रहे हैं। हम 20 साल बाद पूर्णिया आये हैं। एक बार माँ आठ हज़ार से हार गयी थी। मैंने मधेपुरा के चुनाव को पौने-तीन लाख वोटों से जीता था। यहाँ पूर्णिया का मतलब ही है पप्पू यादव। पूर्णिया का मतलब नेता नहीं है, बेटा है, सेवक है। जब पूर्णिया में मैं नहीं था, तभी किसी को यहाँ मौक़ा मिला, वो भी किसी के पाप और कुकर्म की वजह से। पूर्णिया में पप्पू यादव का मतलब है 24 गुणा 24। हमको मतलब है भ्रष्टाचार से, अस्पताल से और आम आदमी की तकलीफ़ से। हम पूर्णिया में बिजली और ट्रेन लाये। पूर्णिया में जब कोई आपदा आती है तो वहां पर भी सेवा के लिए मैं पहले पहुंचता हूँ।सरकार से पहले पप्पू यादव की मदद पहुंचती है। हम पूर्णियाँ में चुनाव बेशक न लड़ रहे हों लेकिन फिर भी मैं यहाँ पर हूँ। यह चुनाव पूर्णिया के लोगों का चुनाव है। आप पूर्णिया के लोगों से पूछो की उनके मन में क्या है। आपको मज़दूर, महिलाओं और बेटियों से पूछना चाहिये। आप सीधे त्रिकोणीय मुक़ाबले पर पहुँच गये। यहाँ कोई लड़ायी नहीं है, पूर्णिया में जो लोग लड़ रहे है वो दिल्ली और पटना वाले हैं।


क्या राजद ने अपना उम्मीदवार उतार कर आपकी और विपक्ष की लड़ाई को कमज़ोर बना दिया है?

ये आप उनसे पूछिए। हम तो कांग्रेस में थे और कांग्रेस में गये। कई जग़ह फैमिली फाइट हो रही है जिसमें परिवार और क़रीबी लोग एक-दूसरे के ख़िलाफ लड़ रहे हैं, तो हमसे इतनी नफ़रत और दिक्क़त क्यों? राजद और कांग्रेस, बिहार में कई सीटें आज तक नहीं जीत पायी है। बीजेपी बस एक बार पूर्णिया में मुझसे जीती है। पूर्णिया में मेरी स्कूली शिक्षा हुई है, हम यही के ही है।



क्या आपको कांग्रेस के पूरा सपोर्ट है?

हाँ है, कांग्रेस नेताओं का पूरा सपोर्ट है। अगर सपोर्ट नहीं होता तो हमारा नेता हमको बोलते चुनाव न लड़ने के लिए, लेकिन हमको नहीं बोला गया है।